दहेज प्रथा समाज के लिऐ- ज़हर

Md karim Didar
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 लेखक- Md Karim Didar

हेज प्रथा आज से नही बरसो से चली आ रही हैं। दहेज प्रथा से समाज को काफी नुकसान भी हो रहा हैं। लेकिन फिर भी लोग बिना दहेज के शादी करने को तैयार नहीं है। लड़की की उम्र चाहें कितनी भी हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता बस दहेज में मोटा रकम होना चाहिए बुलेट बाइक चाहिए... और कई तरह की फरमाइश होता हैं, लड़के वालो की तरफ से...

हमारा समाज कहा जा रहा हैं इस बात को हमे समझना होगा नही तो न जाने कितनो लड़की की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी।

समाज को शिक्षित होने की जरूरत हैं। दहेज पर कड़ी कानून बनने की जरूरत हैं। हर गांव में दहेज के खिलाफ एक कम्यूनिटी बनाने की जरूरत हैं। लोगो को शरिया कानून अपनाने की जरूरत हैं। बहु को बेटी जैसी नजरिया से देखने की जरूरत हैं। नही तो न जाने अख़तरा खातून जैसी कितनो लड़की, इस तरह मौत का शिकार होना पड़ेगा।

अख्तारा खातून की शादी आबादपुर थाना के किसी गांव में हुई थी। अख्तरा खातून के पिताजी की पारिवारिक स्तिथि खराब थी, उसकी शादी हो गई शादी के सालो बीत गए, मगर उसकी ससुराल वालों उस पर अत्याचार और जुल्म ढाते रहा। 

लड़की को शारीरिक रूप से अघात किया गया, मगर पापा की गरीबी को देखते हुए लड़की मायके में शशुराल वाले की करतूत बता नही पा रही थी। धीरे धीरे ससुराल वालों की अत्याचार बढ़ता गया, आखिरकार लड़की को जिंदा जला दिया, 

हम कैसी समाज में जी रहे हैं, जहा सिर्फ दहेज के लिए लड़की को जिंदा जलाया जा रहा हैं। उसे टॉर्चर किया जा रहा हैं।

समाज को बदलना होगा, दहेज के खिलाफ आंदोलन करना होगा। 

आखिर दहेज प्रथा कैसी खत्म होगी?

1. जिस घर में दहेज लेकर शादी होती हैं उस घर से अगर शादी का इनवाइट आता हैं तो शादी में शामिल नहीं होना हैं।
2. पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करना हैं।
3. अपनी बच्ची को स्कूली शिक्षा के साथ साथ शरिया तालिम देना अति जरूरी हैं।
4. अपने क्षेत्र के जिस भी प्रतिनिधि को चुने वह शिक्षित होना चाहिए, और दहेज प्रथा के खिलाफ होना चाहिए।
5. दहेज लेने वाले से ज्यादा दहेज देने वाले का विरोध होना चाहिए।

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