बेलवा पंचायत के मुखिया और दलाल के बीच नई सड़क बनने पर खास बातचीत..!

Md karim Didar
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लेखक Md Karim Didar 

मुखिया - अरे संकोला में जो नई सड़क मनरेगा योजना के तहत पास हुई थी उसे अब पूरा करना हैं।

 खास दलाल - हा मुखिया जी सड़क तो पास हो गई उसके लिए में पूरा पैसा लगाऊंगा..लेकिन मुझे 50% कमीशन चाहिए..

मुखिया - टेंशन की कोरवा लिछिकू हो तोहरे तो सब कुछु मौक मालूम छै.. मुई मुखिया तो तोहरे कुने बोनियेह तुई जेई चाहबो वोई कोर तोक के रुकने वाला छै।

खास दलाल - मुखिया जी मोर दिलेर बात टा कोहेदिल... रे झापसू (काल्पनिक नाम) लगा तो चाय रे मुखिया मौक सेब दिन चाय पिलछे आजका मुई मुखिया जी चाय पिलामू..आर हां पात्ती आर चीनी बेसी कोर डालबो... माेक आर तोर दोकान रेर चाय ला भालोई नी लाघेर..तुई दे केरकोम चाय बानाही..

मुखिया - छोर नी ऐला बात मुद्दा आई.. औखुनका मोरगे विरोध बेजैला लोक होई गैलछे की कोरल जाबे

मुखिया जी का नॉर्मल दलाल - मुखिया जी तुई तो आरोख कोरिकू तोक हाराने वाला कोई पैदा नी होलछे..तुई केने टेंशन लीह
खास दलाल( छोटे दलाल को बोलते हुए) - चुप B*****D.. मुखिया ऐईटा बात ठीक कोहछेर.. मिरघोक अल्पो ध्यान रखवा होबे (भाषा से समझ आ रहा हैं की दलाल कौन हैं?)
चायवाला - मुखिया जी आपका चाय तैयार हो गया हैं..चाय पी लीजिए

मुखिया - धेत तुई तो फेर अारोख हिंदी बोलवार चालू कोरे दिहेर..तुई वारहे बेटा ना तुई तो फेर इंजीनियरेर पोराही कोरिछिलकु तो फेर तुई चाय बेचवार चालू कोरेदीलहो...(मुखिया जी खास दलाल से बातचीत करते हुऐ इसकी कोई job लगा देना होगा पंचायती लेबल में)

खास दलाल - छोर वोईला बात कुन दिनका काम शुरू कोरीह सड़क केर 

मुखिया - तुई जैय दिनका कोहबो..

खास दलाल - कालका फेर काम शुरू कोरहाल जोक..

मुखिया - ठीक छै मुई चोलही ताले..काल काह एके बारे आसूंम

मुखिया जी का नॉर्मल दलाल - मुखिया जाते जाते मोर एक टा बात सुनते जा.. काल काह मोक मिस्त्री रखवा होतेर..हालाकि मुई मिस्त्री नीह छी फिर भी मोक मिस्त्री रखवा होतेर..याद छेड़ मुई वोटेर सोमोय जान दिबार कोने तैयार छीनू..

मुखिया - ठीक छै..

अब आगे कल की सुबह.. पढ़े लेख.!

मुखिया जी अपने दलाल से बात करके घर पहुंच गए... घर पहुंचने के बाद फिर गांव के दलाल को चाय पिलाया अब रात हो चुकी थी.. मुखिया जी घर पहुंच गए, घर पहुंचने के बाद मुखिया जी मच्छी भात खा कर सो गए फिर कल की सुबह हो गई..मुखिया जी लूंगी और कमीज पहन कर निकल गए..रास्ते में मुखिया जी गाड़ी रोकी..फिर चाय पिया (दुकान का लुकेशन उसके गांव के अगली गांव जहां काट चीरा मिल हैं)  चाय पीने के बाद निकल गए अपने दलालों के साथ...
अब फाइनली सनकोला गांव में पहुंच चुका था मुखिया जी..
 गांव के जो खास दलाल थे मुखिया जी उनसे मिले उनको चाय पिलाया अबतक सीमेंट कांक्रीट ढलाई की मशीन आ चुकी थी कुछ ही देर बाद काम शुरू होने वाला था।
अब आगे सुने...

मुखिया - ताले काम शुरू कोराल जोक..

मिस्त्री - मुखिया जी हा हमरा तैयार छी

मुखिया - का हो मिस्त्री माने मिसिन टा चालू कोरल जोक ताले..

अब काम शुरू हो चुका हैं काम कुछ देर तक चला काम सही चल रहा था क्योंकि जिस जगह काम चल रहा था उसके सामने वाली घर उसी के दलाल का था...अब काम आगे बढ़ते गया..जितनी इंच मोटा सड़क बनना चाहिए था उतनी इंच मोटा सड़क नही बन रहा हैं। क्योंकि जिस जगह अब सड़क बन रही थी उसके सामने वाला घर मुखिया जी के विरोधी थे।
वहां पर काम सीमेंट डाला जा रहा था..ज्यादा बालू डाला जा रहा था.. सड़क की मोटाई 3इंच से भी कम हो रहा था। इन्ही सब चीजों को देखते हुए विरोधियों ने काम रोक दिया..
अब खास दलाल की एंट्री होती हैं। खास दलाल सायद हमारे गांव की ही हैं..इसलिए तो इतने जल्दी मौके पर हाजिर हो गए.. क्योंकि पैसा भी तो उसी ने लगाया था। सड़क बनने में कमीशन चाहिए था।
 
खास दलाल - ऐला की होछे जोलदी काम का ला चालू कोर.. कुन b*****d काम ला रुकाई रखिया आय इन्हा सामने..
विरोधी - मुई गै सोनबाप देख दी अलपो वैदिक केरकोम सोड़क टा बनाते आल आर इननाह देक दिन केरकोम सोड़क टा बानाह वैटाकुने मुई काम रुकिहे जबतक मुखिया निः आसतेर तोब तक काम चालू नी होतेर

खास दलाल - अरे b*****d तुई के रुकने वाला होछकु रे..
ये काह हो तुई काम ला शुरू कोर..
विरोधी - नी सोनबाप काम ला नी चालू होबा दिमकुर..जब तक मुखिया नीह आसतेर

मुखिया - हां की होलकी की कोरवा मोक बुलालो कोह दी मोर लगान ओतेला टाइम नी छै..

विरोधी - देख दी वैदिक केरकोम सोड़क टा बनाल आर ऐदिक केरकोम सोड़क टा बनाह..

मुखिया - बहुत मेहनत कोरे तोरघे सोड़क टा पास कोरीहेय आर तुई बोड़का बोड़का बात सुनही.. जेरकोम काम चोले ओरकोम चोलवा दे.. वाई मोक भोटटा दिहालकी तुई मोक भोटटा दिहालकु कुनु दे तोर बीती भालो सोड़क टा बोनतेर

खास दलाल - चोल रे काम ला शुरू कोर..
अब बेचारा विरोधी किया करे काम शुरू हो गया...काम चलता रहा कोई रोकने वाला न कोई टोकने वाला था। जैसे मन गया वैसे सड़क बना डाला जितने पैसे से सड़क बनना चाहिए था उतनी लागत में सड़क नही बन पाई..
सब पैसे दलाल और मुखिया जी खा गए..
इसलिए कुछ ही दिनों बाद यानी दिसंबर को पंचायती राज का वोट हैं वोट सोच समझ कर दे ताकि आपका पैसा आपका हक कोई दलाल न खा सके..
अच्छी सोच रखो..
अच्छे उम्मीदवार का चयन करो...!!
       

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