2500 रुपए प्रति माह कैसे हो जाती हैं लाखो में तब्दील.. मुखिया प्रतिनिधि

Md karim Didar
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आज की लेख में बात करेंगे की आखिर 2500 रूपये प्रतिमाह मुखिया की वेतन कैसे हो जाते हैं लाखो में तब्दील..

हमने और आपने देखा हैं, कि मुखिया हमेशा टू विकल गाड़ी लेकर घूमते हैं जिसमें देखा जाए तो पूरे 30 दिन की पेट्रोल अपने मासिक वेतन से चले जाते हैं।
तो फिर मुखिया के पास इतने पैसे कहां से आते हैं, कि मुखिया हर दिन अपने चमचे को फ्री में चाय बिस्कुट खिला रहे हैं।
 बात विस्तार से होंगे... मैं बेलवा पंचायत(barsoi) से ताल्लुक रखता हु तो बात भी बेलवा पंचायत के मुखिया के होंगे.. पढ़े📚
बेलवा पंचायत के वर्तमान मुखिया जिसने इलेक्शन के समय हर आम आदमी को 2000-3000 रूपये दिए ताकि बेलवा पंचायत के वर्तमान मुखिया सबनम आरा मुखिया बन सके..
आपको और हमें मालूम होना चाहिए कि एक पंचायत में कम से कम 5000 मतदाता होते हैं तो बेशक हरेक आदमी को पैसे दिए होंगे तभी तो मुखिया बने हैं। 
अगर मैथ को मध्य नजर रखते हुए देखे तो 5000 वोटर और प्रति व्यक्ति 1000 तो....5000×1000=5000000 यानि कुल 50लाख रूपये खर्च किए मुखिया की इलेक्शन में..ऊपर से दलाल अपने हिसाब से पैसे लिए कोई 50 हजार तो कोई 10 हजार तो, कोई 20 हजार लिए...
अब बात करते मुखिया के कार्यकाल कि तो मुखिया की कार्यकाल 5 साल की होती हैं..जिसमे मुखिया की प्रतिमाह वेतन 2500 रूपये हैं... कैलकुलेट करने से मालूम चला कि मुखिया की पूरी कार्यकाल में यानी 5 साल में उसकी इनकम 1 लाख 50 हजार ही होते हैं तो आप बताए कि कैसी आखिर 1लाख 50 हजार रुपए, 50 लाख से मैच होंगे..
गहराही से मालूम करने से पता चला की सबनम आरा के पति जिसे लोग प्यार से डोमा मुखिया कहकर पुकारते है..उसने मुखिया सीट जीतने के लिए ब्याज में पैसे लिए हुए थे..
यानी आप सीधे सीधे कह सकते हो की 50 लाख की ब्याज
जो बढ़कर तो 60-70 लाख हो ही जाएंगे..!
अपने वेतन से तो कभी मुखिया अपने ब्याज के पैसे मिटा ही नही सकते, इसलिए पंचायती राज में जो फंड आते हैं..उसका मुखिया दुरुपयोग करते हैं। बोले तो मनरेगा योजना के तहत बनने वाले सड़क मार्ग, नाली, कच्ची सड़क, पोखर खुदाई, और भी काफी योजना हैं जिसके बारे में हमे उतना मालूम नही हैं, क्योंकि मैं मुखिया थोड़ी हू.ना ही मैं मुखिया के दलाल हूं।
कोई भी सड़क जो जितनी लागत में बननी चाहिए.. उस लागत में से आधी पैसे मुखिया अपने जेब में रख लेते हैं..जिससे सड़क हो या फिर कच्ची सड़क..उसको जितनी लागत में बननी चाहिए थी उतनी लागत में नही बन पाने के कारण सड़क काफी कमजोर हो जाते हैं। जिसकी परिणाम कुछ ही दिनों बाद दिखाई देने लगते हैं..सड़क की गिट्टी बाहर नजर आते हैं, या तो फिर सड़क जितने इंच की मोटाई होने चहिए उससे कम मोटाई होने के कारण सड़क अपने आप टूट जाते हैं.. इसपर गांव के लोग कुछ नही बोलेंगे क्योंकि उसे उस समय भी पैसे की गर्मी में दबा दिया जाता हैं।
बात रही दलाल की तो आपको बता दू, मैं "Didar" फैमिली से बिलांग रखता हूं। दीदार फैमिली के बहुत सारे ऐसे दलाल हैं, जो पैसे के खातिर अपने ईमान को बेच रहे हैं..और वर्तमान मुखिया सबनम आरा की दलाली कर रहे हैं।
मुझे उसमें मत जोरो मैं सवाल पूछता हू क्योंकि मैं बागी हूं दलाल नहीं..
अरे यार मैं तो मुद्दे के हट रहा हु...चलो अपने मुद्दे पे आता हूं..
एक बार बार आप दलाली छोर कर ठंडी दिमाग से सोचो की अगर हम सभी ऐसे मुखिया का चयन करते हैं तो क्या कभी अपने क्षेत्र का विकास होगा..जरा सोचो अगर ऐसे मुखिया का फिर से चयन होता हैं..तो, जैसे आप दलाली कर आगे चलकर आपके बच्चे जब बड़े हो जायेंगे तो वह भी ऐसे ही आने वाले समय के मुखिया की दलाली करेंगे..
इसलिए सोच समझकर वोट करे ताकि आपका आपके समाज शोषण न कर सके..
अपने बच्चें को अच्छे तालीम दे..ताकि ऐसे जहरीले मुखिया के चक्कर में न पड़ें..और एक अच्छी समाज की निर्माण कर सके।
चलो हम सब मिलकर दलाल को चोट करे और अच्छी मुखिया का चयन करें 🙏
                                             लेखक
                                   Md Karim Didar
 

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