क्यों जरूरी हैं, सीमांचल के किशनगंज में एएमयू शाखा बनना

Md karim Didar
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 ✩ՏᎬᎬᎷᎪΝᏟᎻᎪᏞ जिसे लोग प्यार से कोसी सीमांचल कहकर पुकारते हैं। जहां के लोग आपस में मिलझुलकर रहना पसंद करते हैं। जहां आज भी गंगा जमुनी जैसे तहजीब जिंदा हैं,जहां न ही कभी मंदिर मस्जिद के नाम पर झगड़ा हुआ,और न ही हिंदू मुसलमानों के बीच कोई अनबन हुई। देश में ज्यातर लोग हिंदी भाषित हैं। वही सीमांचल के लोगो की मुख्य भाषा मैथिली और सुरजापुरी रही हैं।

लेकिन शिक्षित के मामले में सीमांचल काफी पीछे रह जाते हैं। यहां के लोगो की मुख्य पैशा खेती है। ज्यादतर लोग किसान और मजदूर हैं। लेकिन जब किसान और मजदूर अपने बेटे को पढ़ने के लिए ठानी, अपने बच्चे, बच्चियों को अच्छी तालीम देनी की ठानी तो, इस पाक सरजमीं पर नेता तो कुछ ऊंचे तबके के लोगो की नजर लग गई। क्योंकि जो ऊंचे तबके के हैं वह कभी नहीं चाहता की कोई गरीब और किसान का बेटा, बेटी शिक्षित बने। नेता का भी कहनी कुछ इसी तरीके का हैं। उसे बस दिखाना हैं, कि हम जनता के बीच में रहकर काम कर रहे हैं। जिस वक्त बच्चे के पढ़ने लिखने की उम्र होती हैं, उस उम्र में बच्चे को प्रदर्शनकरी बना देते हैं। उस वक्त उस बच्चे के हाथ में कलम और किताब होनी चाहिए थी। उस वक्त उस बच्चे के हाथ में लाल झंडा पकड़ा देते हैं। नेताजी दिखावे के लिए अपने से छोटे अफसरों को डटकर जानता के बीच हीरो बन जाते हैं। नेताजी का एजेंडा सिर्फ और सिर्फ वोट होता है। न ही उसे जानता से कोई मतलब होता हैं, और न ही शिक्षा के क्षेत्र में कोई ध्यान देना होता हैं। आज यही कारण हैं कि हम बिहार के सबसे पिछड़े जिले में जाने जाते हैं। कटिहार,किशनगंज, पूर्णिया से लेकर पूरे सीमांचल का यही हाल हैं। हम किसको दोष दे, हम किस से सवाल करे, सब के सब मिले हुए हैं। सभी का ताल्लुक का जर एक ही है। इसलिए हमे खुद मुत्ताहिद होना होगा। हमे गलत और सही नेता में फर्क समझना होगा। हमें ये भूल जाना होगा कि अगर ये हार जाता हैं तो भाजपा की शासन आ जायेगी। आ जाने दे भाजपा का शासन.. कम से कम हमारे बच्चे शिक्षित और जगरूप हो पाएंगे।

आज के समय में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शाखा सीमांचल में मौजोद हैं। जिसकी हालत हद से बत्तर हैं। जिस शाखा की फंड अभी तक रिलीज नही हो पाई हैं। जिस शाखा को 110 लाख में बनने की बात हुई थी उस शाखा में सिर्फ और सिर्फ 10 लाख की खर्च हुए हैं। जिस कारण एएमयू की शाखा की हालत काफी खराब हैं। क्लास रूम की सही व्यवस्था नहीं हैं, बाथरूम की हालत बत्तर हैं। बच्चे इन्ही कारणों से सही तालीम हासिल नहीं कर पाते हैं।

एएमयू देश के सबसे टॉप यूनिवर्सिटी के लिस्ट में आते है, अगर ऐसे टॉप यूनिवर्सिटी के शाखा की हालत इस तरह से बत्तर होगी तो इसका जिम्मेवार सिर्फ और सिर्फ सरकार की लचर सिस्टम होगी। मैं मोहम्मद करीम दीदार बिहार सरकार से मांग करता हूं। एएमयू की फंड में जो पैसे जमा है। उसको रिलीज किया जाए, ताकि सीमांचल में एक ढंग का शाखा बन सके। बच्चे बढ़ सके, उच्च तालीम हासिल कर सके, सीमांचल का नाम रोशन कर सके।

धन्यवाद....🙏🙏

आपका अपना 

𝑡𝑤𝑖𝑡𝑡𝑒𝑟.𝑐𝑜𝑚/𝑀𝑑𝑘𝑎𝑟𝑖𝑚𝑑𝑖𝑑𝑎𝑟

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