शादी पर मुल्ले और समाज सेवी लोग अलग-अलग तर्क देते हैं। शादी में डीजे,गाना बजे तो लोग शादी में शरीक नहीं होते हैं। पूरे समाज मिलकर विचार करते हैं कि अगर किसी के घर में शादी हो और शादी में अश्लील गाने बजे,तो उस शादी में शरीक नहीं होना हैं,और न ही निकाह पढ़ने वालें आलिम तशरीफ रखते हैं, ये वही लोग हैं जो गाने में फतवा जारी करते हैं, और दहेज जैसी विनाशकारी परंपरा पर खामोश रहते हैं। ऐसे फतवे क्यों नहीं जारी होते?जिस घर में दहेज से शादी हो रहा हो उस शादी में शरीक न होना बेहतर है। हां मानता हूं,और इस बात का समर्थन करता हूं कि शादी में डीजे,अश्लील गाने बंद होना चाहिए, इसकी शुरुवात हमारे क्षेत्र में हों चुका हैं, काफी सफलता भी मिला हैं, बारसोई के कई ऐसे गांव हैं, गांव की मेजोरिटी इतनी अच्छी हैं कि अगर कोई डीजे बजाकर शादी ब्याह मचाते हैं तो गांव के एक इंसान भी उस शादी में शामिल नहीं होते हैं।
दहेज, समाज का विनाश फेक्टर
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Wednesday, May 25, 2022
इसी तरह एक क्रांति दहेज पर भी होना चाहिए, जिस भी घर में दहेज से शादी हो रहे हैं,उस परिवार का पूर्ण बॉयकॉट होना चाहिए, इस मुहिम के लिए नौजवानों को आगे होना अति आवश्यक हैं। लोगो को जागरूप करने की जरूरत हैं, दहेज के कारण कई घर को उजड़ते देखा हैं, कई लड़कियों की जिदंगी बर्बाद होते देखा हैं, कइयों को जहर या फासी पे लटकते देखा हैं।
Author- Karim Didar