दरअसल और देशों की तरह कनाडा में भी नागरिकता के प्रावधानों में एक प्रावधान यह भी है कि वहाँ की नागरिकता पाने के लिये व्यक्ति को एक तय समय तक वहाँ रहना होता है। लेकिन अक्षय कुमार अपने रोज़गार की वजह से भारत में रहने को मजबूर थे। इसलिये उन्होंने कनाडा की तत्कालीन सरकार के सामने अपना पक्ष मज़बूत करने के लिये यह वादा किया कि वो अपने भारतीय मूल और स्टार पावर का इस्तेमाल कनाडा के भारत के साथ रिश्तों को मज़बूत करने के लिये करेंगे। यही नहीं उन्होंने कनाडा की सत्ताधारी पार्टी के लिये चुनाव में भारतीय मूल के लोगों के बीच प्रचार भी किया। इसके बाद ही उन्हें नागरिकता क़ानून में अपवाद का इस्तेमाल करते हुए कनाडा की नागरिकता मिली। लेकिन उन्होंने भारत में इस तथ्य को गुप्त रखने की पूरी कोशिश की।
पहले तो उन्होंने उनके कनाडा की नागरिकता लेने की ख़बर को अफ़वाह बताया। फिर मानद नागरिकता और दोहरी नागरिकता की बात की। जबकि भारत में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है ही नहीं। लेकिन इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर में इतनी बड़ी खबरें छुपना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। पिछले कुछ सालों से चल रही छद्म राष्ट्रवाद की बहती गंगा में हाथ धोने की उनकी कोशिश ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दीं।
अब देखना यह है कि पहले फ़िल्मों के लगातार फ्लॉप होने से दुःखी होकर अपने प्यारे देश भारत की नागरिकता छोड़ने और फिर कई बड़ी हिट फ़िल्मों के बाद दोबारा नागरिकता हासिल करने की कोशिश करने वाले अक्षय कुमार वाक़ई दोबारा से भारतीय नागरिक बन पातेहैं या नहीं। क्योंकि भारतीय नागरिकता क़ानून में एक बार नागरिकता का त्याग करने वालों को दोबारा नागरिकता हासिल करना थोड़ा मुश्किल है। और दूसरी तरफ़ उनकी पिछली कई सारी फ़िल्में एक के बाद एक फ्लॉप हो रही हैं। इनमें इसी हफ़्ते रिलीज़ हुई सेल्फ़ी भी शामिल है जो अपने लगभग सौ डेढ़ सौ करोड़ के बजट के बावजूद सिर्फ़ दो ढाई करोड़ की ही ओपनिंग ले पाई है।