अब खबरें विस्तार से मछली मारने वालों की लगता है। खैर नहीं है ये जब जब मछली मारने की कोशिश करते हैं तब तब दियारा क्षेत्र के गुंडे उन पर हमला बोल देते है। हमला भी इसलिए क्योंकि पहले उन्हें गुंडा टैक्स दो, फिर मछली मारो। अब बेचारे ये मछुआरे करें तो क्या करें? जीविका चलाने का यही तो एकमात्र साधन है। अगर मछली मरेंगे नहीं तो बेचेंगे क्या? खाएंगे क्या? प्रकृति ने तो इन्हें मछली मारने की भरपूर सुविधा दी है, लेकिन यह अपराधी है कि इन्होंने पूरी गंगा नदी को अपनी जागीर समझ लिया है। पहले गुंडा टैक्स दो तब गंगा में मछली मारने की सोचो। अगर बिना टैक्स दिए मछली मारने चले गए तो पीटपीट कर बुरा हाल कर दिया जाएगा। यही हाल हुआ इस बाप बेटे का भी बाप है, बाप वकील महतो और बेटा है, बुग्गी महतो में तो ये दोनों बाप बेटी मछुआरा है। बाप वकील महतो की उम्र 60 वर्ष से है, जबकि बेटे बुग्गी महतो की उम्र 40 वर्ष है। पेट पालने के लिए मछली मारना जरूरी था, इसलिए दोनों बाप बेटे मछली मारने के लिए जाल लेकर नदी पर पहुंचे। मछली मारने के लिए नदी में जाल डाल दिया और वही गंगा के किनारे सो गए। तभी अपराधियों के गुर्गे आए और सो ये हालात में दोनों बाप बेटों की पिटाई शुरू कर दी। मार मारकर दोनों का बुरा हाल कर दिया। ये दोनों बाप बेटे मारने वालों को पहचान भी नहीं पाई क्योंकि उन्होंने मुँह पर कपड़ा बांध रखा था। अपराधियों ने मार मारकर दोनों को बेहोश कर दिया। स्थानीय लोगों ने जब दोनों बाप बेटों को बेहोश देखा तो तुरंत इसकी सूचना उनके परिजनों को दी। सूचना मिलते ही परिजन भी मौके पर पहुँच गए। परिजनों ने दोनों घायलों को इलाज के लिए मनिहारी अनुमंडल अस्पताल में भर्ती करा दिया, लेकिन दोनों की हालत की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टरों ने दोनों को कटिहार सदर अस्पताल रेफर कर दिया। फिलहाल दोनों का इलाज कटिहार सदर अस्पताल में चल रहा है।अब सवाल तो दियारा क्षेत्र में चलने वाले इस से दादागिरी को लेकर है। आखिर कब तक चलेगी यह दादागिरी और कब तक पीटते रहेंगे यह गरीब मछुआरे?