अब क्योंकि ये डेज़र्ट इतना बड़ा है कि इसको साउथ अफ्रीका की तीन कंट्रीज़ आपस में शेयर करती हैं, जिनमें के पास कल हरी डेज़र्ट का सबसे बड़ा शेयर है। वॉट्स वाना के कैपिटल कैमरन में एक कोरियर कंपनी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर काल डु प्लेसिस ने एक प्राइवेट प्लेन चार्टर किया। वो अपने दोस्तों को कल हारी डेज़र्ट के शानदार नजारे दिखाते हुए उनको 600 किलोमीटर दूर मौन नामी एक गांव में लेकर जाना चाहते थे। उनके इस ट्रिप का मकसद ऐडवेंचर के साथ साथ
एक बिज़नेस इवेन्ट को कवर करना भी था। इस हवाई सफर में इनके दोस्त माइक निकोलिक, एक और उनकी बीवी नेट निकोलिक समेत और एक और जहाज के पायलट कोस्टा मार को भी थे।
जिसमें ये पांच लोगों को बहुत एक्साइटेड होकर सवार हो गए। टेकऑफ करते ही जहाज कल्हारी के ऊपर से होता हुआ मौन की तरफ रवाना हुआ था। ये सफर था तो 2 घंटे का, लेकिन एक ही घंटे के बाद जो के पहले ही बहुत घबराई हुई थी, उसने प्लेन के एक विंग में से ऑइल लीक होता देखा। पहले तो उसने समझा की ये नॉर्मल है लेकिन फिर उससे रहा नहीं गया और उसने अपने हस्बैंड से ये बात शेर की। जब पायलट कोस्टा को बताया गया तो उसने ऐहतियातन प्लेन का वो इंजिन बंद कर दिया।
जिससे ऑयल कर रहा था। पायलट के हिसाब से इसमें कोई खतरे की बात नहीं थी क्योंकि 414 मैं अभी भी एक इंजन बचा था पर क्योंकि अफ्रीकन डेज़र्ट में कड़कती गर्मी की वजह से यहाँ की हवा बहुत पतली और खुश्क होती है। इसी वजह से प्लेन को अपना ऐल्टिट्यूड मेनटेन करने के लिए दोनों की पावर रिकॉइड थीं। प्लेन अब आइस्ता आइस्ता नीचे आता जा रहा था। पायलट ने एमर्जेंसी में गिबरन कंट्रोल टावर से कॉन्टैक्ट किया, लेकिन बदकिस्मती थी उनकी कला हारी के बीचोबीच रेडियो भी काम करना छोड़ गया था।
अब जहाज को बचाने का एक ही तरीका था कि इसको खुद से किसी सीधी जगह पर लैंड करवा लिया जाए। ये जहाज वैसे ही काफी कम ऐल्टिट्यूड पे था। इसी वजह से पायलट को जल्द ही कोई लैंडिंग स्ट्रिप ढूंढनी थी। पायलट को नीचे सिर्फ छोटी बड़ी चट्टानों और झाड़ियों के सिवा कुछ नजर नहीं आया। यानी कोई प्लेन जगह नहीं थी। अब सिर्फ एक ही ऑप्शन था और वह था अपनी जान बचाना। पायलट ने सबको ब्रेस पोज़ीशन में आने को कहा और जहाज को झाड़ियों के बीच में ही क्रैश लैंड करवा दिया।
क्रैश लैंड होने से पहले अंदर बैठे पैसेंजर्स को सिर्फ इतना याद था कि जमीन से बहुत करीब पहुंचने पर उनको कई जानवरों के झुंड भागते हुए दिखाई दिए। चंद मिनटों में जब सब को होश आया तो चारों तरफ सिर्फ धुआं और आग थी। ले नेट का हाथ जल चुका था नैवगैट की शायद लंच डैमेज हो गयी थी, क्योंकि उसको सांस नहीं आ रहा था। फिर सबने मिलकर नैब को प्लेन से बाहर निकाला और दरखत के सहारे सीधा खड़ा कर दिया। इन दोनों के अलावा बाकी तीनों को कोई सिरियस चोटें नहीं लगी थी।
अभी उन्होंने खुद को सम्भाला ही था कि प्लेन से लीक होने वाले फ्यूल ने आग पकड़ ली और पूरा प्लेन एक जोरदार धमाके से फट पड़ा। आपको यहाँ बताते चलें कि हर प्लेन में एक इमर्जेन्सी ट्रांसपोंडर होता है जो रेडिओ खराब होने की सूरत में प्लेन की लोकेशन कंट्रोल टावर को भेजता है। जब पायलट ने ये एतराफ किया कि सेसना 414 में इमर्जेन्सी ट्रांसपोंडर नहीं है तो सबके पैरों तले जैसे जमीन ही निकल गई। यानी इसका मतलब था कि इतने बड़े डेजर्ट में
उनकी लोकेशन अब किसी को भी मालूम नहीं है। कल हरी के किसी वीरान हिस्से में ये लोग दरख्तों के बीच में फंसे हुए थे,जहां न अब पानी पीने को कुछ बचा था और ना ही खाने को। दो जनों को जल्द एस जल्द हॉस्पिटल पहुँचाना बहुत जरूरी था क्योंकि वो जिंदगी और मौत के बीच में लटके हुए थे। सबको यही उम्मीद थी कि जल्द ही कोई रेस्क्यू टीम आएगी और उनको यहाँ से निकाल जाएगी। पर रेस्क्यू टीम तो तब आएगी जब उनको मालूम होगा बगैर लोकेशन के अगर रेस्क्यू टीम उनको इस वीराने में ढूंढना शुरू भी करे फिर भी यहाँ तक पहुंचने में उनको कई दिन लग सकते हैं। इतने में दिन ढलने लगा और उन्होंने प्लेन की आग को इस्तेमाल करके एक बोनफायर लगा ली। सारी रात जानवरों की आवाजें इनको झाड़ियों से आती रहीं। लेकिन शायद वो बोनफायर ही थी, जिसने जानवरों को दूर रखा हुआ था। अब दूसरे दिन का आगाज हो चुका था, लेकिन रेस्क्यू टीम का दूर दूर तक कोई नामोनिशान नहीं था। पांचों की हालत बद से बदतर होती जा रही थी।
डिहाइड्रेशन की वजह से इनके गले सूख चूके थे। सुबह सवेरे इन्होंने पत्तों पर पड़ने वाली ओस को पीना शुरू कर दिया पर अभी चंद खतरे ही पिए थे कि सूरज सर पे आने लगा और ओस भी गायब हो गई। इतने में दूर से इनको किसी जहाज़ की आवाज सुनाई दी। इस उम्मीद में हैं की रेस्क्यू टीम यहाँ तक पहुँच गई है। इन्होंने आसमान पे अपनी नजरें जमा ली। उन्होंने देखा कि एक पैसेंजर प्लेन भी इनके ऊपर से गुजर रहा था। इन्होंने धुआं छोड़ा, आवाजें दीं लेकिन सब बेकार था क्योंकि इतनी उंचाई से इनको नोटिस करना करीब नामुमकिन था। अब उनको यही अपनी मौत दिखाई दे रही थी। यहाँ पड़े पड़े या तो ये भूख प्यास से मर जाएंगे और अगर बाहर निकले तो शायद ये जानवरों की भूख का शिकार हो जाए। आखिरकार एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर, काल और पायलट ने इस खतरनाक डेज़र्ट में मदद ढूँढने का फैसला किया। ये फैसला था तो बहुत खतरनाक लेकिन इसके सिवा और कोई ऑप्शन भी नहीं बचा था। वो लोग मदद की तलाश में जख्मी साथियों को पीछे छोड़कर रवाना हो गए। दूसरा दिन भी खत्म होने वाला था।
साइट पे लेनेट और नैब की हालत अब मजीद बिगड़ती जा रही थी। पूरा दिन आग बरसाने वाली गर्मी ने इनको मजीद डीहाइड्रेट कर दिया था।