आज, गूगल डूडल ने भारतीय महिला पहलवान हमीदा बानु को समर्पित किया है, जिसका जन्म 1926 में इंडोर, मध्य प्रदेश में हुआ था। हमीदा बानु ने अपने प्रेरणास्त्रोत के रूप में बचपन से ही पहलवानी के मैदान में कदम रखा। उन्होंने अपने प्रयासों से महिलाओं के पहलवानी में नई राह दिखाई और देशवासियों को हर्षित किया।हमीदा बानु ने 1940 और 50 के दशक में पहलवानी के खेलों में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। उनका स्टारडम उनके उत्कृष्ट कारनामों और विजयों से बना था। हमीदा बानु ने अपने साहसिक प्रयासों से भारतीय पहलवानी को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित किया और उन्हें अनगिनत प्रशंसकों की श्रेणी में उत्कृष्टता का दर्जा प्राप्त हुआ।आज, गूगल ने हमीदा बानु को उनकी याद में गूगल डूडल के माध्यम से समर्पित किया है, जिससे उनके जीवन और उनके कारनामों को समर्थन मिल सके। यह उनके साहस और प्रेरणा को याद दिलाता है और महिलाओं को पहलवानी में अपनी स्थान बनाने के लिए प्रेरित करता है।
मुझे हराओ और शादी कर ले
1954 में हमीदा बानु ने एक इतिहासी जीत हासिल की थी जो उन्हें भारतीय पहलवानी के क्षेत्र में अविस्मरणीय बनाती है। उस समय के प्रसिद्ध कुश्तीबाज बाबा पहलवान के खिलाफ उन्होंने एक चुनौती दी थी, जिसके परिणामस्वरूप वह उन्हें हरा दिया था।
हमीदा बानु ने उस समय एक असामान्य शर्त रखी थी, जिसके अनुसार उन्हें एक मुकाबले में हारने के बाद बाबा पहलवान से शादी कर लेनी थी। यह परिणामस्वरूप एक बड़ी उलझन और चर्चा का विषय बना। इस मुकाबले को 1954 में फरवरी माह में आयोजित किया गया था,जब पुरुष पहलवानों के लिए हमीदा बानु का यह अद्भुत प्रयास उनके साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक बना। उनकी इस विजय ने उन्हें न केवल खेल क्षेत्र में बल्कि समाज में भी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बना दिया। उन्होंने महिलाओं को साहस और स्वतंत्रता की ओर मोड़ने का संदेश दिया और उन्हें सामाजिक समानता की ओर अग्रसर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।
हमीदा बानु की तीसरी लड़ाई का समाचार आते ही शहर में हलचल मच गई थी। इस बार उन्हें छोटे गामा पहलवान के साथ मुकाबला करना था, जो कि बड़ौदा के महाराजा द्वारा संरक्षित पहलवान था। हालांकि, अंतिम क्षण में गामा ने मुकाबले से हट गए, उन्होंने कहा कि वह किसी महिला से नहीं लड़ेंगे।
इसके बाद, हमीदा बानु ने अपने अगले प्रतिद्वंद्वी बाबा पहलवान के साथ मुकाबला किया। 3 मई 1954 को यह मुकाबला हुआ जिसमें हमीदा ने एक मिनट और 34 सेकंड तक की जीत हासिल की। उस समय तक, हमीदा बानु ने 300 से अधिक मैच जीतने का दावा किया था। उनकी इस जीत ने उन्हें देशभर में उत्साहित किया और उनकी अद्भुत क्षमताओं की प्रशंसा की गई।
अलीगढ़ का अमेज़ॅन
उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ जन्मी हमीदा बानु को समाचार पत्रों में "अलीगढ़ का अमेज़ॅन" कहा जाता था। उनका वजन 108 किलोग्राम था और लंबाई 5 फीट 3 इंच (1.6 मीटर) थी।
हमीदा बानु की डेली डाइट में 5.6 लीटर दूध, 2.8 लीटर सूप, 1.8 लीटर फलों का रस, एक चिकन, लगभग 1 किलो मटन, बादाम, आधा किलो मक्खन, 6 अंडे, दो बड़ी रोटियां और दो प्लेट बिरयानी शामिल थी।
उन्होंने दिन में 9 घंटे सोने का अनुसारण किया और 6 घंटे ट्रेनिंग की। इन अनुसारणों के माध्यम से, उन्होंने अपनी शानदार फिजिकल फिटनेस को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई।
कोच से शादी,उसके बाद गुमनामी
1954 में हमीदा ने मुंबई में हुई एक फाइट में रूस की "फीमेल बियर" कहलाने वाली वेरा चिस्टिलिन को एक मिनट से भी कम समय में हरा दिया था। उसी वर्ष, हमीदा ने घोषणा की कि वह यूरोप जाकर वहां के पहलवानों से लड़ेंगी। लेकिन कुछ ही समय बाद, वे कुश्ती के दंगलों से गायब हो गईं।
उनकी शादी कोच सलाम पहलवान से हुई थी, पति को उनके यूरोप जाने का विचार पसंद नहीं आया था। एक ओर सलाम पहलवान की बेटी सहारा का कहना है कि उनके पिता ने बानु से शादी की थी, हमीदा के पोते फ़िरोज़ शेख जो 1986 में बानु की मृत्यु तक उसके साथ रहे।